बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

धन त्रयोदशी – इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरि ऋषि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे । अतः इस दिन धनवंतरी जयंती मनायी जाती है । निरोग रहते हेतु उनका पूजन किया जाता है
हमारे सभी पाठकोंको धनवंतरी जयंतीकी हार्दिक शुभाकामनाये!!
सभी पाठकों को
'आयुर्वेद-आपकेलिये' (हिन्दी आयुर्वेद फॉर यू)
की तरफ से दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.

शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

लिप्सस्टिक से हो सकता है स्तन कैंसर!
न्यूयार्क, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। लिप्सस्टिक का इस्तेमाल करने वाली युवतियों और महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि इसके इस्तेमाल से स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है।
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लिप्सस्टिक और नेल वार्निश में जिस तरह के रसायन का इस्तेमाल किया जाता है वह ब्रेस्ट टिशू (स्तन ऊतक) के स्वस्थ विकास में बाधक हो सकता है।
इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिकों ने लिप्सस्टिक में पाए जाने वाले ब्यूटाइल बेंजाइल थैलेट (बीपीपी) के साथ एक दूध देने वाली चूहिया पर इसका प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि दूध के जरिये यह रसायन चूहिया के मादा बच्चे में भी चला गया।
डेली मेल के आनलाइन संस्करण के हवाले से बताया गया कि इस रसायन की वजह से दूध पीने वाली चूहिया की स्तन ग्रंथियों की कोशिकाओं में जीन संरचनाएं विकृत पाई गईं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कोई जरूरी नहीं कि इसका असर तुरंत दिख जाए कई बार इसका असर उम्र बढ़ने के बाद दिखाई दे सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया, ''इसे संकेत के रूप में लिया जा सकता है। यही मनुष्य में भी लागू हो सकता है। ''
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

रविवार, 28 सितंबर 2008

कानों में घंटी बजना एक बीमारी
डॉ. रश्मि सुधा (Webdunia.com)

हमारे कान में एक कोकलिआ नामक अंग होता है जो हमें ध्वनि सुनने में मदद करता है। इस अंग के आस-पास छोटे-छोटे बाल होते हैं जो हमें आवाज़ सुनने में मदद करते हैं। जो लोग सुनने की परेशानी से ग्रसित होते हैं उनमें ये बाल या तो मुड़े हुए होते हैं या फिर नष्ट हो चुके होते हैं।

ये बाल ऑडिटरी सेल्स को चार्ज बनाए रखने में मदद करते हैं। इन सेल्स की वजह से ध्वनि संकेत हमारे दिमाग तक पहुँच पाते हैं।
कानों में घंटी बजती हुई सुनाई देने का भी कारण इन छोटे बालों में परेशानी होना या इनका नष्ट हो जाना ही है।

जो लोग कानों में घंटी बजने की समस्या से ग्रसित होते हैं उन्हें या तो एक या दोनों कानों में घंटी बजती हुई सुनाई देती है। इस बीमारी को टिनिटस भी कहा जाता है। इसमें जब दिमाग उसे मिलने वाले संकेतों को समझ नहीं पाता तो वह अपने द्वारा बनाए गए संकेतों के माध्यम से काम करता है और यही मरीज़ की परेशानी का कारण बनता है।

टिनिटस के कुछ प्रमुख कारण हो सकते हैं-
* इसका एक कारण कान में होने वाला संक्रमण हो सकता है जिसकी वजह से कान की हड्डी, ईयरड्रम या फिर मध्य कान में संक्रमण हो सकता है।

* यह समस्या बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। आजकल बहुत से युवा इस बीमारी से ग्रसित हैं और इसका मुख्य कारण है तेज़ आवाज़ में म्यूज़िक सुनना।


* यह बीमारी लगातार तनावग्रस्त रहने से भी हो सकती है।

* जो लोग सायनस या फिर किसी एलर्जी का शिकार हैं उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। इसका कारण है उनके द्वारा ली जाने वाली दवाइयाँ जो कई बार म्यूकस की सतह को मोटा कर देती हैं।


जो लोग कानों में घंटी बजने की समस्या से ग्रसित होते हैं उन्हें या तो एक या दोनों कानों में घंटी बजती हुई सुनाई देती है। इस बीमारी को टिनिटस भी कहा जाता है...





* सिर या दिमाग में लगने वाली चोट या ट्यूमर भी इस बीमारी को आमंत्रित कर सकते हैं।

* दाँतों की चिकित्सा के दौरान भी यह बीमारी होने का खतरा बना रहता है।

* रेड वाइन, चीज़, चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थों के ज़्यादा सेवन से भी यह बीमारी हो सकती है।

इस रोग से ग्रसित लोगों को कॉफी का सेवन कम करने के साथ-साथ ऐसे पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए जिसमें एस्प्रिन हो। ज़्यादा उम्र के लोगों को हियरिंग एड पहनने की भी सलाह दी जाती है।

शनिवार, 27 सितंबर 2008

आयुर्वेदा फॉर यु ब्लोगका ये हिन्दी संस्करण है
आयुर्वेद सम्बन्धी जानकारी हिन्दीमे प्रस्तुत करनेका हमारा प्रयास रहेगा