धन त्रयोदशी – इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरि ऋषि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे । अतः इस दिन धनवंतरी जयंती मनायी जाती है । निरोग रहते हेतु उनका पूजन किया जाता है
हमारे सभी पाठकोंको धनवंतरी जयंतीकी हार्दिक शुभाकामनाये!!
बुधवार, 22 अक्टूबर 2008
सभी पाठकों को
'आयुर्वेद-आपकेलिये' (हिन्दी आयुर्वेद फॉर यू)
की तरफ से दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
'आयुर्वेद-आपकेलिये' (हिन्दी आयुर्वेद फॉर यू)
की तरफ से दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
शनिवार, 4 अक्टूबर 2008
लिप्सस्टिक से हो सकता है स्तन कैंसर!
न्यूयार्क, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। लिप्सस्टिक का इस्तेमाल करने वाली युवतियों और महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि इसके इस्तेमाल से स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है।
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लिप्सस्टिक और नेल वार्निश में जिस तरह के रसायन का इस्तेमाल किया जाता है वह ब्रेस्ट टिशू (स्तन ऊतक) के स्वस्थ विकास में बाधक हो सकता है।
इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिकों ने लिप्सस्टिक में पाए जाने वाले ब्यूटाइल बेंजाइल थैलेट (बीपीपी) के साथ एक दूध देने वाली चूहिया पर इसका प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि दूध के जरिये यह रसायन चूहिया के मादा बच्चे में भी चला गया।
डेली मेल के आनलाइन संस्करण के हवाले से बताया गया कि इस रसायन की वजह से दूध पीने वाली चूहिया की स्तन ग्रंथियों की कोशिकाओं में जीन संरचनाएं विकृत पाई गईं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कोई जरूरी नहीं कि इसका असर तुरंत दिख जाए कई बार इसका असर उम्र बढ़ने के बाद दिखाई दे सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया, ''इसे संकेत के रूप में लिया जा सकता है। यही मनुष्य में भी लागू हो सकता है। ''
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
न्यूयार्क, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। लिप्सस्टिक का इस्तेमाल करने वाली युवतियों और महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि इसके इस्तेमाल से स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है।
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लिप्सस्टिक और नेल वार्निश में जिस तरह के रसायन का इस्तेमाल किया जाता है वह ब्रेस्ट टिशू (स्तन ऊतक) के स्वस्थ विकास में बाधक हो सकता है।
इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिकों ने लिप्सस्टिक में पाए जाने वाले ब्यूटाइल बेंजाइल थैलेट (बीपीपी) के साथ एक दूध देने वाली चूहिया पर इसका प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि दूध के जरिये यह रसायन चूहिया के मादा बच्चे में भी चला गया।
डेली मेल के आनलाइन संस्करण के हवाले से बताया गया कि इस रसायन की वजह से दूध पीने वाली चूहिया की स्तन ग्रंथियों की कोशिकाओं में जीन संरचनाएं विकृत पाई गईं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कोई जरूरी नहीं कि इसका असर तुरंत दिख जाए कई बार इसका असर उम्र बढ़ने के बाद दिखाई दे सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया, ''इसे संकेत के रूप में लिया जा सकता है। यही मनुष्य में भी लागू हो सकता है। ''
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
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