शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

​​“अनिमिया ​​ ​और कुपोषण मुक्त भारत​”  ​​​लोक आंदोलन

हम, भारत् में आज सर्वाधिक लोग अशक्त और अनिमिआसे ग्रस्त है. आओ इसे बदले.

महाभारत​के ​ पांड​वोंके ​​ माता पिता  पांडू और कुंती    ---
​महाभारत​के ​ पांड​वोंके ​​ पिता   ​ सफेद थे. उनमे   रक्त​की ​ कमी​​ थी. उन्हे  पांडुरोग ​था. इसीलिये  उनका नाम  पांडु ​ था. आज भारत​मे  ​सर्वा​धिक  लो​गोंको   ​यही बिमारी है. ।​ ​सर्वा​धिक  लो​ग ​ पांडु है. ​ सरकार ​इसे घटानेके लिये  1970 ​से  विशेष कार्यक्रम ​चालती है।  स​ब डॉक्टर ​सबको इलाज करते है.फिरभी  आज सर्वाधिक लोगोंको  यह बिमारी है. 5 ​मे से ३,४   भारती​योंको ​ ​यह बिमारी है.। इसके कारण हम अशक्त है.अल्पायुषी है. ​और हमे यह मालूम नहिं. ​मालूम नहिं ​यह ​भी ​मालूम नहिं. आओ इसे जाने और  सबको बताये. यह पुण्यका काम है. ​यह सर्वोत्तम  देशसेवा, लोकसेवा ​है ।​  ​हिमोग्लोबिन​ से खून लाल होता है.  उसकी ​ की कमी को  ​, पांडुरोग,​ रक्त अल्पता ​​ कहते है.  ​1 ग्राम ​​​​हिमोग्लोबिन ​यह 1 ग्राम प्रथिन​,​ ​और बिलकुल  थोडे लोह,व फॉलिक एसिड ​और  बी 12 ​, इन दो  ​​जीवन स​त्वोंसे बनता  है. काफी लोगोंमे इन  चारो चीजोंका  अभाव है.ये कहानीयां  पढिये और  देशको अनिमिया मुक्त किजिये.
​कहानी
 लोह निशा​की. उसके जुबान से​​:---

 निशा ​दीदी  सरकारी ​डिप्लोमाधारी परिचारिका ​है. निशा​ कहती है,,"​ मेरे बदनमे  खून कम था. हिमोग्लोवीन ९ ग्राम ​था.  डॉक्टर​ने लोह​ की गोली दी.    मुझे जुलाब ​लगे.​मैने गोली बंद ​दी.​लोहे की कढाई मे  खाना बनाना शुरू किया.मै  ठीक हो गई. मेरा खून बढा. इसके बाद मैने ३ ​बार  रक्त दान  ​किया. अब  मेरा  हिमोग्लोबिन १३ ​ ग्राम है.​ ​अच्छा है.​
सीख १. ​हम सबने लोहेकी कढाई में खाना पकाना चाहिये. ​

वंदना सरकार नागपूर की कहानी

 मेरे पतीको केंसर [कर्करोग] है. वे उसकी दवा खाते ही. उनका खून घटता है. हम हर बार उन्हे  २ बोतल खून देते है. निशासे सिख कर मैने लोहे की कढाई मी खान बनाना शुरू किया.अब  उनका हिमोग्लोबिन ९ से १३ हो गया है. मै सबको संक्रांतीमे लोहे की कढाई भेट दुंगी.

माधुरी ताई प्रवीण राउत, बंबई, ने इस संक्रांती को सबको लोहेकी  कडाई देनेका तय किया है.

​​डॉ. रमेश चेलन ​का  ​अभ्यास ​​प्रसिद्ध​ ​​है.कि ​९७% ​ बच्चे और माताओमे ​लोह​  की ​ कमी ​है .  अनिमिआ ​है. पुरुशोंमे भी ऐसा ही  होगा.
लोह कमी के   दुष्परिणाम ​ऐसे है.१. गर्भपात, ​होना २.  छो​टे , मंद बुद्धी ​बच्चे  होना.3 शिक्षण क्षमता ​​कम ​होना. कार्य क्षमता ​​कम हो​ती  है.५. हिमोग्लोबिन ​​कम हो​ता   है. ​इसे हम  अनिमिआ ​कहते है.  १ ग्राम हिमोग्लोबिन कम​ होनेपर ​२% कार्य क्षमता घट​ती ​है.आओ हम इसे  २०१६ ​मे  बदलेङ्गे. यह जानकारी सब को  देकर.
1 ग्राम हिमोग्लोबिन ​यह  1 ग्राम प्रथिन​ और बिलकुल  थो​डी   मात्रामे लोह,​ और   फॉलिक एसिड व बी 12 ​इन दो  जीव​न  ​सत्वोंसे   बन​ता  है.  ​काफी लोगोंमे इन सबका अभाव है.
​क्या मुझमे इन का अभाव है ? कैसे जाने? मुठ्ठी बंद करो. अब अपनी हाथ की  उंगलीओंके जोडोंको देखो.
ये अगर काले  है,, तो हममे फोलिक एसिड  और बी १२ का अभाव है. उन्हे लेनेपर काला रंग  चल जाता है. हमारा गया.    फॉलिक एसिड :​ यह पता सब्जी और फलोंसे  मिलता है. ​उसे  काम करते समय, या समय मिलने  पर दिनभर खाइयॆ. लाभ होगा. एक करमचंद जासूस हरदम गजर खात था. उसी तरह. ​हमे  रोज 1 मिलिग्रॅम फॉलीक एसिड ​लागता है. 5 मिलीग्रॅम ​की  गो​ली  औषधी दुकान​मे ​ मिल​ती  है.।​१ गो​ली   बाट कर घरके सब लोग रोज ​ले. ​​का​ले दाग जाने  तक ले.
बी 12 जीवनसत्व:
दुध​मे  ​बी 12 ​है.​दहीमे दुधसे  ज्यादा बी 12 ​है.
सब दुध का दही बनाइये. और  खाइये.   संसारमे सर्वाधिक भारत दुध मे होता है.
 बी 12 सिर्फ  फक्त मांसाहार​से ​ मि​लता है। शाकाहारी ​और हफ्तेमे १ बार  मांसाहार ​करनेवाले लोगोंमे  बी 12 ​का  अभाव  ​होता है. इससे दिमाग और   नर्वज (नाडी, माजातंतू) ​को तकलीफ  होती है.  ​पैरमे  गोले आना , दिमागने   काम कम करना   ​​आदी दिमाग की कोई भी तकलीफ हो तो बी १२ लेकर देखिये. लाभ हो सकताहै. मिथाइल कोबाल अमीन ​नामसे लिजिये। 1000 मायक्रो ग्राम ​का  इंजेक्शन ​लिजिये.  ​हर हफ्ता एक  ऐसा  4 ​हफ्ता लिजिये. या ​ ​​उन्गलीके का​ले दाग जाने  तक लिजिये. परदेश​ मे  रहने वाले खूप भारतीय​ लोगोंको उनके  ​ डॉक्टर ​ये  इंजेक्शन ​हर  6 महि​नेमे  एक बार देते है.
लोह, फॉलिक एसिड, बी 12 ​लेकर र्भी , प्रथिन​ ​कम​ ​​होनेके कारण  अशक्त लो​गोन्मे  हिमोग्लोबिन ​ज्यादा बढता नही. रोज ​अनाज कम पडनेसे बच्चे और लोग  ​दुबले  अशक्त हो​ते है. 1 ग्राम हिमोग्लोबिन ब​नेको  1 ग्राम प्रथिन लगता​ है. ​। ​​दुबले  अशक्त​ लोगोंको रोज खानेमे  25 % तक प्रथिन​ [प्रोटीन्स] ​कम पड​ते है. इलाज: ​दुबले  अशक्त​ लोगोंको जेबमे   24 ​घंटा चना , मुंग फल्ली भरकर रखिये.

घरमे एक कोनेमे  चना , मुंग फल्ली, गाजर आदी हरदम भरकर रखिये. दुबले  अशक्त​ लोगोंने उसे दिनभर खाना चाहिये.
उन्हे ज्यादा प्रथिन मिलेंगे.  वे  सशक्त ​बनेङ्गे. खून भी बढेगा . ​चना , मुंग फल्ली ​ना हो तो जो चीज घरमे है उसे दिजिये.  ​​कच्चा चना दाल  दिजिये. सब पचता  है ।महाराष्ट्र मे  सरकार, हमारी सलाह के अनुसार, सबको  एक कोनेमे  चना , मुंग फल्ली, रखनेको कहती है. इससे  महाराष्ट्रातील कमजोर बच्चोंका प्रमाण घटा है.  भारतके  बडे राज्योंके तुलनामे महाराष्ट्रमें कमजोर बच्चोंका प्रमाण अब सबसे कम है.
सावधान: ​बच्चोंको  दूध ​ना दे. दुधमे लोह  ​नही के बराबर है.  दूध ​दुसरे अन्न के लोह को भी खा लेता है. अमेरि​कामे पहले साल बच्चेको दुध देना  मना है. ​ ​​
​यह  लो​गोन्का लोगोन्के लिये ,  अनिमिआ मुक्ती ​आंदोलन है. 

रविवार, 17 जनवरी 2016

उच्‍च रक्‍तचाप या हाइपरटेंशन

उच्‍च रक्‍तचाप से दिल की बीमारी, स्‍ट्रोक और यहां तक कि गुर्दे की बीमारी होने का भी खतरा रहता है। उच्‍च रक्‍तचाप के लिए मेडीकल पर बहुत ज्‍यादा भरोसा करना सही है, इससे आप ठीक भी हो जाएंगे, लेकिन अधिक समय तक यह उपचार लाभकारी नहीं होता है। जब तक आप दवा खाते रहेगें, तब तक आराम रहेगा। बाजार में उच्‍च रक्‍तचाप के लिए कई दवाईयां उपलब्‍ध हैं, जो हाई ब्‍लड़ – प्रेशर को कंट्रोल कर लेती है लेकिन ज्‍यादा दवाई खाना भी सेहत के घातक है, एक समय के बाद दवाईयों का असर धीमा पड़ने लगता है। इसलिए उच्‍च रक्‍तचाप के मामले में हर्बल उपचार भी लाभकारी होता है।
कई जड़ी – बूटियों / पारंपरिक चिकित्‍सा
1) लहसुन – लहसुन उन रोगियों के लिए लाभकारी होता है जिनका ब्‍लड़प्रेशर हल्‍का सा बढ़ा रहता है। ऐसा माना जाता है कि लहसुन में एलिसीन होता है, जो नाइट्रिक ऑक्‍साइड के उत्‍पादन हो बढ़ाता है और मांसपेशियों की धमनियों को आराम पहुंचाता है और ब्‍लड़प्रेशर के डायलोस्टिक और सिस्‍टोलिक सिस्‍टम में भी राहत पहुंचाता है।
2) सहजन – सहजन का एक नाम ड्रम स्‍टीक भी होता है। इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन और गुणकारी विटामिन और खनिज लवण पाएं जाते है। अध्‍ययन से पता चला है कि इस पेड़ के पत्‍तों के अर्क को पीने से ब्‍लड़प्रेशर के सिस्‍टोलिक और डायलोस्टिक पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है। इसे खाने का सबसे अच्‍छा तरीका इसे मसूर की दाल के साथ पकाकर खाना है।
3) आंवला – परम्‍परागत तौर पर माना जाता है कि आंवला से ब्‍लड़प्रेशर घटता है। वैसे आंवला में विटामिन सी होता है जो रक्‍तवहिकाओं यानि ब्‍लड़ वैसेल्‍स को फैलाने में मदद करता है और इससे ब्‍लड़प्रेशर कम करने में मदद मिलती है। आवंला, त्रिफला का महत्‍वपूर्ण घटक है जो व्‍यवसायिक रूप से उपलब्‍ध है।
4) मूली – यह एक साधारण सब्‍जी है जो हर भारतीय घर के किचेन में मिलती है। इसे खाने से ब्‍लड़प्रेशर की बढ़ने वाली समस्‍या का निदान संभव है। इसे पकाकर या कच्‍चा खाने से बॉडी में उच्‍च मात्रा में मिनरल पौटेशियम पहुंचता है जो हाई – सोडियम डाईट के कारण बढ़ने वाले ब्‍लड़प्रेशर पर असर ड़ालता है।
5) तिल – हाल ही के अध्‍ययनों में पता चला है कि तिल का तेल और चावल की भूसी का तेल एक शानदार कॉम्‍बीनेशन है, जो हाइपरटेंशन वाले मरीजों के ब्‍लड़प्रेशर को कम करता है। और माना जाता है कि ब्‍लड़प्रेशर कम करने वाली दवाईयों से ज्‍यादा बेहतर होता है।
6) फ्लैक्‍ससीड या अलसी – फ्लैक्‍ससीड या लाइनसीड में एल्‍फा लिनोनेलिक एसिड बहुतायत में पाया जाता है जो कि एक प्रकार का महत्‍वपूर्ण ओमेगा – 3 फैटी एसिड है। कई अध्‍ययनों में भी पता चला है कि जिन लोगों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है उन्‍हे अपने भोजन में अलसी का इस्‍तेमाल शुरू करना चाहिए। इसमें कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा भी बहुत ज्‍यादा नहीं होती है और ब्‍लड़प्रेशर भी कम हो जाता है।
7) इलायची – बायोकैमिस्‍ट्री और बायोफिजिक्‍स के एक भारतीय जर्नल में एक अध्‍ययन प्रकाशित किया गया जिसमें बताया गया कि बेसिक हाइपरटेंशन के 20 लोग शामिल थे, जिन्‍हे 3 ग्राम इलायची पाउडर दिया गया। तीन महीने खत्‍म होने के बाद, उन सभी लोगों को अच्‍छा फील हुआ और इलायची के 3 ग्राम सेवन से उनको कोई साइडइफेक्‍ट भी नहीं हुआ। इसके अलावा, अध्‍ययन में यह भी बताया गया कि इससे ब्‍लड़प्रेशर भी प्रभावी ढंग से कम होता है। इससे एंटी ऑक्‍सीडेंट की स्थिति में भी सुधार होता है जबकि इसके सेवन से फाइब्रिनोजेन के स्‍तर में बिना फेरबदल हुए रक्‍त के थक्‍के भी टूट जाते है।
8) प्‍याज – प्‍याज में क्‍योरसेटिन होता है, एक ऐसा ऑक्‍सीडेंट फ्लेवेनॉल जो दिल को बीमारियों से अटैक पड़ने बचाता है।
9) दालचीनी – दालचीनी केवल इंसान को केवल दिल की बीमारियों से नहीं बल्कि डायबटीज से बचाता है। ओहाई के एप्‍लाईड हेल्‍थ सेंटर में 22 लोगों पर अध्‍ययन किया गया, जिनमें से आधे लोगों को 250 ग्राम पानी में दालचीनी को दिया गया जबकि आधे लोगों को कुछ और दिया गया। बाद में यह पता चला कि जिन लोगों ने दालचीनी का घोल पिया था, उनके शरीर में एंटीऑक्‍सीडेंट की मात्रा ज्‍यादा अच्‍छी थी और ब्‍लड सुगर भी कम थी।
अधिक जानकारीके लिए --http://ayurveda-foryou.com/treat/hypertension.html