हम, भारत् में आज सर्वाधिक लोग अशक्त और अनिमिआसे ग्रस्त है. आओ इसे बदले.
महाभारतके पांडवोंके माता पिता पांडू और कुंती ---
महाभारतके पांडवोंके पिता सफेद थे. उनमे रक्तकी कमी थी. उन्हे पांडुरोग था. इसीलिये उनका नाम पांडु था. आज भारतमे सर्वाधिक लोगोंको यही बिमारी है. । सर्वाधिक लोग पांडु है. सरकार इसे घटानेके लिये 1970 से विशेष कार्यक्रम चालती है। सब डॉक्टर सबको इलाज करते है.फिरभी आज सर्वाधिक लोगोंको यह बिमारी है. 5 मे से ३,४ भारतीयोंको यह बिमारी है.। इसके कारण हम अशक्त है.अल्पायुषी है. और हमे यह मालूम नहिं. मालूम नहिं यह भी मालूम नहिं. आओ इसे जाने और सबको बताये. यह पुण्यका काम है. यह सर्वोत्तम देशसेवा, लोकसेवा है । हिमोग्लोबिन से खून लाल होता है. उसकी की कमी को , पांडुरोग, रक्त अल्पता कहते है. 1 ग्राम हिमोग्लोबिन यह 1 ग्राम प्रथिन, और बिलकुल थोडे लोह,व फॉलिक एसिड और बी 12 , इन दो जीवन सत्वोंसे बनता है. काफी लोगोंमे इन चारो चीजोंका अभाव है.ये कहानीयां पढिये और देशको अनिमिया मुक्त किजिये.
कहानी
लोह निशाकी. उसके जुबान से:---
निशा दीदी सरकारी डिप्लोमाधारी परिचारिका है. निशा कहती है,," मेरे बदनमे खून कम था. हिमोग्लोवीन ९ ग्राम था. डॉक्टरने लोह की गोली दी. मुझे जुलाब लगे.मैने गोली बंद दी.लोहे की कढाई मे खाना बनाना शुरू किया.मै ठीक हो गई. मेरा खून बढा. इसके बाद मैने ३ बार रक्त दान किया. अब मेरा हिमोग्लोबिन १३ ग्राम है. अच्छा है.
सीख १. हम सबने लोहेकी कढाई में खाना पकाना चाहिये.
वंदना सरकार नागपूर की कहानी
मेरे पतीको केंसर [कर्करोग] है. वे उसकी दवा खाते ही. उनका खून घटता है. हम हर बार उन्हे २ बोतल खून देते है. निशासे सिख कर मैने लोहे की कढाई मी खान बनाना शुरू किया.अब उनका हिमोग्लोबिन ९ से १३ हो गया है. मै सबको संक्रांतीमे लोहे की कढाई भेट दुंगी.
माधुरी ताई प्रवीण राउत, बंबई, ने इस संक्रांती को सबको लोहेकी कडाई देनेका तय किया है.
डॉ. रमेश चेलन का अभ्यास प्रसिद्ध है.कि ९७% बच्चे और माताओमे लोह की कमी है . अनिमिआ है. पुरुशोंमे भी ऐसा ही होगा.
लोह कमी के दुष्परिणाम ऐसे है.१. गर्भपात, होना २. छोटे , मंद बुद्धी बच्चे होना.3 शिक्षण क्षमता कम होना. कार्य क्षमता कम होती है.५. हिमोग्लोबिन कम होता है. इसे हम अनिमिआ कहते है. १ ग्राम हिमोग्लोबिन कम होनेपर २% कार्य क्षमता घटती है.आओ हम इसे २०१६ मे बदलेङ्गे. यह जानकारी सब को देकर.
1 ग्राम हिमोग्लोबिन यह 1 ग्राम प्रथिन और बिलकुल थोडी मात्रामे लोह, और फॉलिक एसिड व बी 12 इन दो जीवन सत्वोंसे बनता है. काफी लोगोंमे इन सबका अभाव है.
क्या मुझमे इन का अभाव है ? कैसे जाने? मुठ्ठी बंद करो. अब अपनी हाथ की उंगलीओंके जोडोंको देखो.
ये अगर काले है,, तो हममे फोलिक एसिड और बी १२ का अभाव है. उन्हे लेनेपर काला रंग चल जाता है. हमारा गया. फॉलिक एसिड : यह पता सब्जी और फलोंसे मिलता है. उसे काम करते समय, या समय मिलने पर दिनभर खाइयॆ. लाभ होगा. एक करमचंद जासूस हरदम गजर खात था. उसी तरह. हमे रोज 1 मिलिग्रॅम फॉलीक एसिड लागता है. 5 मिलीग्रॅम की गोली औषधी दुकानमे मिलती है.।१ गोली बाट कर घरके सब लोग रोज ले. काले दाग जाने तक ले.
बी 12 जीवनसत्व:
दुधमे बी 12 है.दहीमे दुधसे ज्यादा बी 12 है.
सब दुध का दही बनाइये. और खाइये. संसारमे सर्वाधिक भारत दुध मे होता है.
बी 12 सिर्फ फक्त मांसाहारसे मिलता है। शाकाहारी और हफ्तेमे १ बार मांसाहार करनेवाले लोगोंमे बी 12 का अभाव होता है. इससे दिमाग और नर्वज (नाडी, माजातंतू) को तकलीफ होती है. पैरमे गोले आना , दिमागने काम कम करना आदी दिमाग की कोई भी तकलीफ हो तो बी १२ लेकर देखिये. लाभ हो सकताहै. मिथाइल कोबाल अमीन नामसे लिजिये। 1000 मायक्रो ग्राम का इंजेक्शन लिजिये. हर हफ्ता एक ऐसा 4 हफ्ता लिजिये. या उन्गलीके काले दाग जाने तक लिजिये. परदेश मे रहने वाले खूप भारतीय लोगोंको उनके डॉक्टर ये इंजेक्शन हर 6 महिनेमे एक बार देते है.
लोह, फॉलिक एसिड, बी 12 लेकर र्भी , प्रथिन कम होनेके कारण अशक्त लोगोन्मे हिमोग्लोबिन ज्यादा बढता नही. रोज अनाज कम पडनेसे बच्चे और लोग दुबले अशक्त होते है. 1 ग्राम हिमोग्लोबिन बनेको 1 ग्राम प्रथिन लगता है. । दुबले अशक्त लोगोंको रोज खानेमे 25 % तक प्रथिन [प्रोटीन्स] कम पडते है. इलाज: दुबले अशक्त लोगोंको जेबमे 24 घंटा चना , मुंग फल्ली भरकर रखिये.
घरमे एक कोनेमे चना , मुंग फल्ली, गाजर आदी हरदम भरकर रखिये. दुबले अशक्त लोगोंने उसे दिनभर खाना चाहिये.
उन्हे ज्यादा प्रथिन मिलेंगे. वे सशक्त बनेङ्गे. खून भी बढेगा . चना , मुंग फल्ली ना हो तो जो चीज घरमे है उसे दिजिये. कच्चा चना दाल दिजिये. सब पचता है ।महाराष्ट्र मे सरकार, हमारी सलाह के अनुसार, सबको एक कोनेमे चना , मुंग फल्ली, रखनेको कहती है. इससे महाराष्ट्रातील कमजोर बच्चोंका प्रमाण घटा है. भारतके बडे राज्योंके तुलनामे महाराष्ट्रमें कमजोर बच्चोंका प्रमाण अब सबसे कम है.
सावधान: बच्चोंको दूध ना दे. दुधमे लोह नही के बराबर है. दूध दुसरे अन्न के लोह को भी खा लेता है. अमेरिकामे पहले साल बच्चेको दुध देना मना है.
यह लोगोन्का लोगोन्के लिये , अनिमिआ मुक्ती आंदोलन है.
महाभारतके पांडवोंके माता पिता पांडू और कुंती ---
महाभारतके पांडवोंके पिता सफेद थे. उनमे रक्तकी कमी थी. उन्हे पांडुरोग था. इसीलिये उनका नाम पांडु था. आज भारतमे सर्वाधिक लोगोंको यही बिमारी है. । सर्वाधिक लोग पांडु है. सरकार इसे घटानेके लिये 1970 से विशेष कार्यक्रम चालती है। सब डॉक्टर सबको इलाज करते है.फिरभी आज सर्वाधिक लोगोंको यह बिमारी है. 5 मे से ३,४ भारतीयोंको यह बिमारी है.। इसके कारण हम अशक्त है.अल्पायुषी है. और हमे यह मालूम नहिं. मालूम नहिं यह भी मालूम नहिं. आओ इसे जाने और सबको बताये. यह पुण्यका काम है. यह सर्वोत्तम देशसेवा, लोकसेवा है । हिमोग्लोबिन से खून लाल होता है. उसकी की कमी को , पांडुरोग, रक्त अल्पता कहते है. 1 ग्राम हिमोग्लोबिन यह 1 ग्राम प्रथिन, और बिलकुल थोडे लोह,व फॉलिक एसिड और बी 12 , इन दो जीवन सत्वोंसे बनता है. काफी लोगोंमे इन चारो चीजोंका अभाव है.ये कहानीयां पढिये और देशको अनिमिया मुक्त किजिये.
कहानी
लोह निशाकी. उसके जुबान से:---
निशा दीदी सरकारी डिप्लोमाधारी परिचारिका है. निशा कहती है,," मेरे बदनमे खून कम था. हिमोग्लोवीन ९ ग्राम था. डॉक्टरने लोह की गोली दी. मुझे जुलाब लगे.मैने गोली बंद दी.लोहे की कढाई मे खाना बनाना शुरू किया.मै ठीक हो गई. मेरा खून बढा. इसके बाद मैने ३ बार रक्त दान किया. अब मेरा हिमोग्लोबिन १३ ग्राम है. अच्छा है.
सीख १. हम सबने लोहेकी कढाई में खाना पकाना चाहिये.
वंदना सरकार नागपूर की कहानी
मेरे पतीको केंसर [कर्करोग] है. वे उसकी दवा खाते ही. उनका खून घटता है. हम हर बार उन्हे २ बोतल खून देते है. निशासे सिख कर मैने लोहे की कढाई मी खान बनाना शुरू किया.अब उनका हिमोग्लोबिन ९ से १३ हो गया है. मै सबको संक्रांतीमे लोहे की कढाई भेट दुंगी.
माधुरी ताई प्रवीण राउत, बंबई, ने इस संक्रांती को सबको लोहेकी कडाई देनेका तय किया है.
डॉ. रमेश चेलन का अभ्यास प्रसिद्ध है.कि ९७% बच्चे और माताओमे लोह की कमी है . अनिमिआ है. पुरुशोंमे भी ऐसा ही होगा.
लोह कमी के दुष्परिणाम ऐसे है.१. गर्भपात, होना २. छोटे , मंद बुद्धी बच्चे होना.3 शिक्षण क्षमता कम होना. कार्य क्षमता कम होती है.५. हिमोग्लोबिन कम होता है. इसे हम अनिमिआ कहते है. १ ग्राम हिमोग्लोबिन कम होनेपर २% कार्य क्षमता घटती है.आओ हम इसे २०१६ मे बदलेङ्गे. यह जानकारी सब को देकर.
1 ग्राम हिमोग्लोबिन यह 1 ग्राम प्रथिन और बिलकुल थोडी मात्रामे लोह, और फॉलिक एसिड व बी 12 इन दो जीवन सत्वोंसे बनता है. काफी लोगोंमे इन सबका अभाव है.
क्या मुझमे इन का अभाव है ? कैसे जाने? मुठ्ठी बंद करो. अब अपनी हाथ की उंगलीओंके जोडोंको देखो.
ये अगर काले है,, तो हममे फोलिक एसिड और बी १२ का अभाव है. उन्हे लेनेपर काला रंग चल जाता है. हमारा गया. फॉलिक एसिड : यह पता सब्जी और फलोंसे मिलता है. उसे काम करते समय, या समय मिलने पर दिनभर खाइयॆ. लाभ होगा. एक करमचंद जासूस हरदम गजर खात था. उसी तरह. हमे रोज 1 मिलिग्रॅम फॉलीक एसिड लागता है. 5 मिलीग्रॅम की गोली औषधी दुकानमे मिलती है.।१ गोली बाट कर घरके सब लोग रोज ले. काले दाग जाने तक ले.
बी 12 जीवनसत्व:
दुधमे बी 12 है.दहीमे दुधसे ज्यादा बी 12 है.
सब दुध का दही बनाइये. और खाइये. संसारमे सर्वाधिक भारत दुध मे होता है.
बी 12 सिर्फ फक्त मांसाहारसे मिलता है। शाकाहारी और हफ्तेमे १ बार मांसाहार करनेवाले लोगोंमे बी 12 का अभाव होता है. इससे दिमाग और नर्वज (नाडी, माजातंतू) को तकलीफ होती है. पैरमे गोले आना , दिमागने काम कम करना आदी दिमाग की कोई भी तकलीफ हो तो बी १२ लेकर देखिये. लाभ हो सकताहै. मिथाइल कोबाल अमीन नामसे लिजिये। 1000 मायक्रो ग्राम का इंजेक्शन लिजिये. हर हफ्ता एक ऐसा 4 हफ्ता लिजिये. या उन्गलीके काले दाग जाने तक लिजिये. परदेश मे रहने वाले खूप भारतीय लोगोंको उनके डॉक्टर ये इंजेक्शन हर 6 महिनेमे एक बार देते है.
लोह, फॉलिक एसिड, बी 12 लेकर र्भी , प्रथिन कम होनेके कारण अशक्त लोगोन्मे हिमोग्लोबिन ज्यादा बढता नही. रोज अनाज कम पडनेसे बच्चे और लोग दुबले अशक्त होते है. 1 ग्राम हिमोग्लोबिन बनेको 1 ग्राम प्रथिन लगता है. । दुबले अशक्त लोगोंको रोज खानेमे 25 % तक प्रथिन [प्रोटीन्स] कम पडते है. इलाज: दुबले अशक्त लोगोंको जेबमे 24 घंटा चना , मुंग फल्ली भरकर रखिये.
घरमे एक कोनेमे चना , मुंग फल्ली, गाजर आदी हरदम भरकर रखिये. दुबले अशक्त लोगोंने उसे दिनभर खाना चाहिये.
उन्हे ज्यादा प्रथिन मिलेंगे. वे सशक्त बनेङ्गे. खून भी बढेगा . चना , मुंग फल्ली ना हो तो जो चीज घरमे है उसे दिजिये. कच्चा चना दाल दिजिये. सब पचता है ।महाराष्ट्र मे सरकार, हमारी सलाह के अनुसार, सबको एक कोनेमे चना , मुंग फल्ली, रखनेको कहती है. इससे महाराष्ट्रातील कमजोर बच्चोंका प्रमाण घटा है. भारतके बडे राज्योंके तुलनामे महाराष्ट्रमें कमजोर बच्चोंका प्रमाण अब सबसे कम है.
सावधान: बच्चोंको दूध ना दे. दुधमे लोह नही के बराबर है. दूध दुसरे अन्न के लोह को भी खा लेता है. अमेरिकामे पहले साल बच्चेको दुध देना मना है.
यह लोगोन्का लोगोन्के लिये , अनिमिआ मुक्ती आंदोलन है.
6 टिप्पणियां:
बधाई
डॉ हेमंत जोशी
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